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up politics Akhilesh Yadav new strategy before UP elections picture reveals plan of Samajwadi Party


UP Politics: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने राजधानी लखनऊ में प्रेसवार्ता की. इस दौरान वह भारतीय जनता पार्टी और सीएम योगी आदित्यनाथ पर हमलावर रहे. एक ओर जहां वह बीजेपी की नीतियों पर जुबानी हमला कर रहे थे तो दूसरी ओर साल 2027 में प्रस्तावित यूपी विधानसभा चुनाव के लिए उनकी रणनीतियों का खुलासा हो रहा था.

लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में अखिलेश यादव जहां मीडिया और कार्यकर्ताओं से बात करते हैं, वहां पहली बार कुछ ऐसा हुआ जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा. दरअसल, सपा चीफ, गुरुवार 13 मार्च को जब प्रेस वार्ता करने आए तो उनके माइक बगल में ही बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की एक छोटी सी प्रतिमा रखी थी. इस प्रतिमा ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया.

सियासी पंडित सपा के इस कदम को साल 2027 के चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. इसके अलावा 15 मार्च को कांशीराम की जयंती पर सपा हर जिले में क्रार्यक्रम आयोजित करेगी. यानी स्पष्ट तौर पर अखिलेश यादव पीडीए की रणनीति को और धार देने के साथ ही विपक्ष के लिए भी चुनौती खड़ी करेंगे. इससे पहले अखिलेश ने जब कभी सपा मुख्यालय के इस हॉल से प्रेस वार्ता की तो कभी ऐसा कुछ नहीं देखा गया.

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम के बाद लिया था ये फैसला
हालांकि साल 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद सपा ने लखनऊ मुख्यालय समेत कई जिलों में संविधान मान-स्तंभ स्थापित करने का फैसला लिया था. कई जिलों में विधायकों और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में इसको लेकर कार्यक्रम भी हुए थे.

संविधान मान-स्तंभ स्थापित कराने के पीछे की वजह पर राजनीतिक मामलों के जानकारों का दावा था कि पार्टी, लोकसभा चुनाव में संविधान के मुद्दे पर मिली जीत की लय को आगे भी बरकरार रखना चाहते हैं.

विपक्षी दलों के लिए भी चुनौती
अब गुरुवार को सामने आई तस्वीर की बात करें तो अखिलेश यादव, इसके जरिए न सिर्फ बसपा और बीजेपी बल्कि अपने सहयोगी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी चुनौती देते नजर आ रहे हैं. दरअसल, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बीते लंबे वक्त से संविधान की पुस्तक के साथ नजर आते रहे हैं और लगभग हर मंच से उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग दोहराई है. ऐसे में अखिलेश यादव ने भी अपने इस कदम से न केवल बीजेपी सामने नए समीकरण तैयार करने शुरू कर दिए हैं बल्कि सहयोगियों के लिए भी चुनौती खड़ी कर दी है. 

इंडिया गठबंधन की सहयोगी कांग्रेस के साथ ही अखिलेश यादव ने इन दोनों फैसलों के जरिए नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी और मायावती की बीएसपी की रणनीति को भी चैलेंज किया है. मायावती के लिए चुनाव दर चुनाव कम होते जनाधार के साथ ही आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की पार्टी के लिए भी सपा प्रमुख की इस रणनीति की काट खोजना काफी मुश्किल होगा.

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