Waqf Bill Supreme Court Hearing Ends Verdict Reserved In Reply Top Court Says In Hinduism There Is Moksha
Supreme Court Hearing On Waqf Ends: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देनी वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (22 अप्रैल, 2025) को पूरी हुई. अदालत ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है. तीन दिन तक चली बहस में याचिकाकर्ताओं ने कानून को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए अंतरिम रोक लगाने की मांग की जबकि केंद्र सरकार ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए कानून को सही बताया.
बीते दिन बुधवार (21 मई, 2025) को सरकार ने दलील दी थी कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा है, लेकिन यह धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और इसलिए मौलिक अधिकार नहीं है. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ अल्लाह के प्रति समर्पण है… परलोक के लिए. अन्य धर्मों के विपरीत वक्फ ईश्वर के प्रति दान है.
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
हालांकि इस पर कोर्ट ने कहा कि धार्मिक दान केवल इस्लाम तक सीमित नहीं है. चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हिंदू धर्म में भी मोक्ष है. दान अन्य धर्मों की भी एक मौलिक अवधारणा है. इसी तरह पीठ के दूसरे जज जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने ईसाई धर्म में इसी प्रकार के प्रावधान का उल्लेख किया और कहा, “हम सभी स्वर्ग में जाने की कोशिश कर रहे हैं.”
याचिकाकर्ताओं की दलीलों पर सुनवाई के तीसरे दिन मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस कानून पर अंतरिम रोक लगाने की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.
सरकार ने क्या कहा?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने किसी भी तरह के अंतरिम आदेश का विरोध करते हुए दलील दी कि अगर अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट को लगता है कि कानून असंवैधानिक है तो कोर्ट इसे रद्द कर सकता है लेकिन, अगर कोर्ट अंतरिम आदेश से कानून पर रोक लगाता है और इस दौरान कोई संपत्ति वक्फ को चली जाती है, तो उसे वापस पाना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि वक्फ अल्लाह का होता है और एक बार जो वक्फ हो गया, उसे पाना आसान नहीं होगा.
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, वक्फ बनाना और वक्फ को दान देना दोनों अलग हैं. यही कारण है कि मुसलमानों के लिए 5 साल की प्रैक्टिस की जरूरत रखी गई है, ताकि वक्फ का इस्तेमाल किसी को धोखा देने के लिए न किया जाए.
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