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ईडी दफ्तर में अग्निकांड: विवादों में महाराष्ट्र में राजनीति की धुरी बनी ‘जादुई’ इमारत


मुंबई के बल्लार्ड एस्टेट में स्थित कैसर ए हिंद नाम की चार मंजिला इमारत को महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में “जादुई” इमारत कहा जाता है. इसे जादुई इमारत इसलिए कहते हैं, क्योंकि इसके भीतर दाखिल होने के बाद अक्सर राजनेताओं के सुर और उनकी पार्टियां बदल जातीं हैं. बीते 10 सालों तक इस इमारत ने महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित किया. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसी इमारत में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED का दफ्तर है. ये एक बार फिर खबरों में है, क्योंकि इसमें बीते रविवार आग लग गई.

आग बुझाने में दमकल विभाग को बारह घंटे से ज़्यादा समय लगा. महाराष्ट्र में विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी के नेताओं का आरोप है कि यह अग्निकांड कोई हादसा नहीं बल्कि एक साजिश है. 

ED ने खुद दफ्तर जलाया- कांग्रेस

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आरोप लगाया कि ईडी अधिकारियों ने खुद अपना दफ्तर जला दिया. सपकाल के मुताबिक, पिछले दस सालों से ईडी का इस्तेमाल विपक्षी नेताओं को जेल भेजने और नेताओं को पार्टी बदलने पर मजबूर करने के लिए किया गया, और अब सबूत नष्ट कर दिए गए हैं. 

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने पूछा कि क्या ईडी कार्यालय में कभी फायर ऑडिट किया गया था और आग बुझाने में इतना समय क्यों लग. सुले का आरोप है कि इमारत की सुरक्षा को लेकर सावधानी नहीं बरती गई. 

1918 में बनी यह इमारत पिछले कुछ वर्षों में कई हाई-प्रोफाइल लोगों  को अपनी दीवारों के बीच सरकारी मेहमान बनते देख चुकी है, जिनमें से कुछ आरोपी के तौर पर आए थे. एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल, पूर्व मंत्री नवाब मलिक और अनिल देशमुख को इसी इमारत में ईडी ने गिरफ्तार किया और पूछताछ की.

ईडी हिरासत में यहीं रहे संजय राउत

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत को भी ईडी की हिरासत के दौरान यहीं रखा गया था. कई अन्य नेता, जिन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, उन्हें इसी इमारत में पूछताछ के लिए समन किया गया, जैसे शिवसेना की भावना गवली, राहुल कनाल और प्रताप सरनाईक.

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यहां पूछताछ के बाद कई नेताओं ने अपनी राजनीतिक निष्ठाएं बदल दीं. ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे का है. 2019 में लोकसभा चुनावों से पहले ठाकरे ने पूरे महाराष्ट्र में रैलियां कीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुराने भाषणों के अंशों के ज़रिए आलोचना की.

उस दौरान उन्हें ईडी ने एक दशक पुराने मामले में बुला लिया और करीब नौ घंटे पूछताछ की. उस मुलाक़ात के बाद ठाकरे ने आलोचना बंद कर दी और  फिर उनकी भाजपा के साथ करीबी बढ़ते हुए देखी गई. जहां एक ओर आग की घटना के बाद ईडी विपक्ष के निशाने पर है, वहीं ईडी ने सफाई दी है. ईडी के अनुसार, सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों का डिजिटल रूप में बैकअप है और यह घटना किसी भी जांच या मुकदमे को प्रभावित नहीं करेगी.

जीतेंद्र दीक्षित, एनडीटीवी में कंट्रीब्यूटिंग एडिटर हैं और इस लेख में लेखक के निजी विचार हैं.



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