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तो मुसलमान कहें कि ये मेरी धर्मपत्नी है… सर्व धर्म के सवालों पर अनिरुद्धाचार्य


कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि सर्वधर्म की अवधारणा ही गलत है, क्योंकि उनके अनुसार धर्म एक ही है – सनातन धर्म. उन्होंने स्पष्ट किया कि मुस्लिम को मजहब और सिख को पंथ कहना चाहिए, न कि धर्म. अनिरुद्धाचार्य ने तर्क दिया कि शब्दों के अर्थ और संदर्भ महत्वपूर्ण हैं और इनका सही उपयोग आवश्यक है.

हम किसी से नफरत नहीं करते. हमारे लिए ईश्वर और अल्लाह दोनों हैं. ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’. हमने कभी किसी धर्म, पंथ या मजहब के प्रति खटास नहीं रखी.

अनिरुद्धाचार्य

कथावाचक

एक न्यूज़ वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि हम ‘सर्वधर्म समभाव’ की बात करते हैं. लेकिन हमें समझना चाहिए कि ‘धर्म’ और ‘मजहब’ में अंतर होता है. सनातन धर्म को हम धर्म कहते हैं, जबकि इस्लाम को मजहब और सिखों को पंथ कहा जाता है.

कथावाचक ने कहा कि गंगा एक नदी है और उससे निकली धारा को नहर कहते हैं. उसी तरह, मूल धर्म सनातन है और उससे विभिन्न पंथ और मजहब निकले हैं. यदि मजहब और धर्म एक ही होते, तो सभी जगहों पर पत्नी को ‘धर्मपत्नी’ कहा जाता. लेकिन ऐसा नहीं है. मूल में सनातन धर्म ही रहेगा.

अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि अगर 52 मुस्लिम देशों से हमें कोई एतराज नहीं है, तो भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने से किसी को भी एतराज नहीं होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू राष्ट्र होने का अर्थ यह नहीं है कि मुसलमान भारत में नहीं रह सकते हैं. अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि मुसलमान हमेशा से भारत में रहे हैं और आगे भी रहेंगे.







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