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यूपी के डिप्‍टी CM बृजेश पाठक पर अभद्र टिप्पणी, सपा मीडिया सेल पर केस दर्ज, अखिलेश से माफी की मांग



कौन-सी बात कहां, कैसे कही जाती है? ये सलीका हो, तो हर बात सुनी जाती है. राजनीति करने वाले लोग काश इसका मोल समझ पाते. अब तो बातें ऐसे कही जाती हैं मानो राजनैतिक विरोधी नहीं दुश्मन के खिलाफ खड़े हैं. समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल पर ऐसे ही आरोप लगते रहे हैं. कुछ मामलों में तो मुकदमे तक भी दर्ज हुए. इस मीडिया सेल से जुड़े लोगों को जेल भी जाना पड़ा. राजनीति में विरोध के नाम पर गाली गलौज की नई पंरपरा शुरू कर दी गई है. ताजा विवाद यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को लेकर है. समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने उनके माता पिता के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की है. उनका नाम लिए बगैर उन्हें गालियां दी गई है. वो भी सोशल मीडिया में. विडंबना ये है कि इस पर माफी मांगने के बदले वो अपनी बात पर अड़े हैं.

डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक पर समाजवादी पार्टी की अभद्र टिप्पणी के बाद बीजेपी के नेता गुस्से में हैं. खुद पाठक ने इस मामले में अखिलेश यादव से माफी की मांग की है. उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष से पूछा कि क्या दिवंगत माता पिता के बारे में आपके लोग यही भाव रखते हैं. डिप्टी सीएम पाठक ने अखिलेश यादव की सांसद पत्नी डिंपल यादव से भी ऐसे लोगों पर कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने डिंपल से पूछा है क्या आप ऐसी महिला विरोधी सोच को स्वीकार करती हैं. पाठक ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर अखिलेश यादव पर ऐसे लोगों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. 

बीजेपी के कई विधायकों, सांसदों और संगठन से जुड़े नेताओं ने समाजवादी पार्टी के सोशल मिडिया सेल वालों की आलोचना की है. बीजेपी के नेता आंनद द्विवेदी ने इस मामले में लखनऊ पुलिस से मीडिया सेल से जुड़े लोगों पर मुक़दमा दर्ज करने की मांग की है. मामले की जांच करने के बाद हजरतगंज थाने में FIR हो गई है.

विवाद की शुरूआत डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक के बयान के बाद हुई. पाठक ने कहा था कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में ही गुंडागर्दी है. इसके बाद पार्टी के मीडिया सेल की तरफ से पाठक के डीएनए के बारे में विवादित पोस्ट किया गया. डिप्टी सीएम पाठक से अपना डीएनए टेस्ट कराने के बाद उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की गई. समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता राम गोपाल यादव के सेना के अफसरों पर दिए बयान के बाद पाठक का बयान आया था. यादव ने सेना के अफसरों के बारे में जातिसूचक टिप्पणी की थी. 
 





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